Class 9th Biology Chapter 5 Notes in Hindi | खाद्य  संसाधन (Food Resource) Best Science Notes

Class 9th Biology Chapter 5 Notes in Hindi: पौधों तथा जंतुओं से प्राप्त वें पदार्थ जो मनुष्य के शरीर के निर्माण में,विकास तथा बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है भोजन कहलाता है | 

इस पोस्ट में हम आपके लिए लाये हैं Class 9th Biology Chapter 5 Notes in Hindi | इस chapter का नाम“Food Resource (खाद्य  संसाधन )” है | 

इस पोस्ट में हमने class 9 Biology chapter 5 से एक Short Notes बनाया है , जो आपके लिए बहुत ही उपयोगी है |  इस पोस्ट में “Food Resource(खाद्य  संसाधन )” से लगभग सभी पॉइंट को एक एक करके परिभाषित किया गया है जिसे पढ़ कर कम से कम समय में अपनी तैयारी कर सकते है और अच्छे नम्बर से परीक्षा में उत्तीर्ण हो सकते हैं | आप class 9 Biology chapter 5 pdf notes भी Download कर सकते हैं |

Table of Contents

Class 9th Biology Chapter 5 Notes in Hindi Overview

Class 9th Biology Chapter 5 Notes in Hindi
Class 9th Biology Chapter 5 Notes in Hindi
BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board, CGBSE Board, MPBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 9Th
SubjectScience (Biology)
Chapter no.Chapter 5
Chapter NameFood Resource(खाद्य  संसाधन )
CategoryClass 9Th Science Notes in Hindi
MediumHindi
Class 9th Biology Chapter 5 Notes in Hindi Overview

भोजन (Food)

पौधों तथा जंतुओं से प्राप्त वें पदार्थ जो मनुष्य के शरीर के निर्माण में,विकास तथा बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है भोजन कहलाता है | 

      इसे मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है | 

1. शरीर निर्माण पदार्थ :- प्रोटीन तथा खनिज-लवण जैसे-लोहा, कैल्शियम, मैगनीशियम इत्यादि शरीर निर्माण पदार्थ कहलाता है। जिसका मुख्य स्रोत सभी प्रकार के दाल,सोयाबीन,दूध,हरी सब्जी एवं फल आदि है। 

2. ऊर्जा दायक पदार्थ :- कार्बोहाइड्रेट और वसा ऊर्जा दायक पदार्थ है। 

     इसका मुख्य स्रोत गेहूं, धान, मक्का,बाजरा,ज्वार, सोयाबीन तेल, मूंगफली,तिल, सूरजमुखी, सरसों, मक्खन, घी, पनीर आदि है | 

3. वि नियंत्रक पदार्थ :- विटामिन्स और कुछ खनिज-लवण जैसे-सोडियम,ज़िंक आदि हमारे आतंरिक और बाह्य अंगो के क्रिया को नियंत्रित करता है,वि नियंत्रक पदार्थ कहलाता है। 

     इसका मुख्य स्रोत मांस , मछली , अंडा, दूध, हरी सब्जी , मसाला और फल है।    

हरित क्रांति (Green Revolution)

 आधुनिक कृषि यंत्रों , संकर बीज तथा कृत्रिम उर्वरकों के प्रयोग के द्वारा कृषि पैदावार में किये गए वृद्धि को हरित क्रांति कहते है।

        इस क्रांति के फलस्वरूप गेहूं के पैदावार में आशांतित हुई है | 

श्वेत क्रांति (White Revolution)

 देश में संकर नस्ल के गाय और भैंसों के सफल पशुपालन कर दूध के उत्पादन में वृद्धि की गई जिसे श्वेत क्रांति कहते है। 

        दूध के उत्पादन में वृद्धि के लिए एक कार्यक्रम चलाया गया जिसे ऑपरेशन फलड कहते है।  

Class 9th Biology Chapter 5 Notes in Hindi

रजत क्रांति (Silver Revolution)

 उच्च कोटि के संकर नस्ल के कुकुट के पालन-पोषण के द्वारा अंडा उत्पादन में की गई वृद्धि को रजत क्रांति कहते है। 

संपोषणीय कृषि(Sustainable Agriculture)

 कृषि का ऐसा तरीका जिसमें पर्यावरण को क्षति पहुंचाए बिना भोजन का उत्पादन पर्याप्त मात्रा में किया जा सके संपोषणीय कृषि कहलाता है |  

फसल उत्पादन के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ

फसल उत्पादन के लिए मुख्यतः दो आवश्यक परिस्थितियां है। 

1. दीप्तकालिता :- वें स्थितियां जो सूर्य के प्रकाश के अवधी से संबंधित होता है दीप्तकालिता कहलाता है।  

2. तापमान :- पौधों की वृद्धि सिंचाई इत्यादि : उस निकटवर्ती पर्यावरण के तापमान पर निर्भर करता है। तापमान में ही ऋतु का निर्धारण होता है।  

        जिसके आधार पर फसलों को दो भागो में बाँटा गया है | 

1. रवि फसल :- जो फसल शीत ऋतु अर्थात नवम्बर में बोई जाती है तथा अप्रैल माह में काट ली जाती है , रवि फसल कहलाती है | जैसे:- मसूर,मटर,जौ , गेहूं अलसी, सरसों, मक्का आदि | 

2. खरीफ फसल :- जो फसल ग्रीष्म ऋतु अर्थात मई-जून में बोई जाती है तथा वर्षा ऋतु के अंत में अर्थात सितम्बर-अक्टूबर में काट ली जाती है, खरीफ फसल कहलाती है | जैसे:- धान, ज्वार, बाजरा, पटसन, जूट आदि | 

Class 9th Biology Chapter 5 Notes in Hindi

फसल सुधार (Food Improvement)

उन्नत किस्म का बीजों का प्रयोग फसल को उचित देखभाल जैसे – समय से सिंचाई , उचित मात्रा में उर्वरक तथा कीटनाशी का प्रयोग तथा उनको सुरक्षा प्रदान करना फसल सुधार कहलाता है |   

पादप संकरण (Plant Hybridization)

 विभिन्न पौधों के बीच कृत्रिम प्रजनन के द्वारा एक्छिक गुज वाले पौधे का विकास पादप संकरण कहलाता है | यह दो प्रकार का होता है:- 

     1. अंतरा किस्मीय पादप संकरण 

     2.  अंतरा वंशीय पादप संकरण    

फसल उत्पादन को प्रभावित करने वाले कारक  

  1.  मौसम संबंधी परिवर्तन
  2.  मिट्टी की गुणवत्ता  
  3.  सिंचाई की सुविधा  

फसल उत्पादन में सुधार से संबंधित कारक 

     (1) उन्नत किस्म के पौधे को लगाना चाहिए | 

     (2)जैविक तथा अजैविक प्रतिरोधकता पर विचार | 

     (3)परिपक्वन काल में परिवर्तन | 

     (4) व्यापक अनुकूलता। 

     (5) एक्छिक सस्य विज्ञान गुण | 

     (6)उच्च उत्पादन। 

Class 9th Biology Chapter 5 Notes in Hindi

पोषक प्रबंधन

 ऐसी व्यवस्था जिसके अंतर्गत पौधों की उचित वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक पोषक पदार्थ उपलब्ध कराया जाता है, पोषक प्रबंधन कहलाता है | 

         पौधों के लिए आवश्यक पोषक पदार्थ को दो भागों में बांटा गया है।  

1. वृहत पोषक पदार्थ :- जिस पोषक पदार्थ की आवश्यकता पौधों को अधिक मात्रा में होती है, वृहत पोषक पदार्थ कहलाता है | इसकी कुल संख्या 9 होती है | जैसे:- नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर, ऑक्सीजन, कार्बन, हाइड्रोजन | 

2. सूक्ष्म पोषक पदार्थ :- ऐसे पोषक पदार्थ जिसकी आवश्यकता पौधों को कम मात्रा में होती है, सूक्ष्म पोषक पदार्थ कहलाता है | इसकी कुल संख्या सात है | जैसे:- लोहा, मैगनीज, बोरॉन, जस्ता, तांबा, क्लोरीन | 

     इन पोषक पदार्थों को जलीय माध्यम में पौधें अपने जड़े के द्वारा मुख्य रूप द्वारा अवशोषित करते है | 

खाद (Manure)

 ऐसा जैविक पदार्थ जो जीव-जन्तुओं तथा पेड़-पौधों के अवशिस्टो के अपघटक के फलस्वरूप निर्मित होता है | 

  इसके  प्रयोग के निम्नलिखित लाभ है- 

(1) यह मिट्टी के संरचना अर्थात गुणवत्ता को ठीक करता है | 

(2) यह मिट्टी के जलधारण क्षमता को बढ़ाता है।  

(3) यह मिट्टी को बंजर होने से बचाता है | 

खाद के दोष

(1) इसका रखरखाव सुविधाजनक नहीं होता है | 

(2) यह पौधों के वृद्धि और विकास में धीरे-धीरे वृद्धि लाता है | 

खाद मुख्यतः दो प्रकार के होते है :- 

(1) कम्पोस्ट             (2)  हरी खाद  

Class 9th Biology Chapter 5 Notes in Hindi

उर्वरक या संश्लेषित खाद

 वे रासायनिक पदार्थ जिसका निर्माण कृत्रिम विधि द्वारा पौधों की वृद्धि और विकास के लिए किया जाता है, उर्वरक कहलाता है | 

उर्वरक के गुण 

(1) यह पौधों पर अपना प्रभाव तेजी से उत्पन्न करता है | 

(2) इसका रखरखाव तथा यातायात की सुविधा-जनक होता है | 

(3) यह खाद की तुलना में कम मात्रा में उपयोग किया जाता है | 

उर्वरक के दोष 

(1) इसका अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता में ह्रास होती है | 

(2) यह मिट्टी के जलधारण क्षमता को घटाता है | 

(3) इसका अत्यधिक और लगातार उपयोग से भूमि बंजर हो जाता है | 

Class 9th Biology Chapter 5 Notes in Hindi

सिंचाई (Irrigation)

फसल के वृद्धि और विकास के लिए समय से जल की पूर्ति करना सिंचाई कहलाता है | 

आश्वस्त सिंचाई (Assured Irrigation)

 सिंचाई की वह व्यवस्था जिसके अंतर्गत पौधों के लिए सालो भर पर्याप्त जल उपलब्ध रहता है, आश्वस्त सिंचाई कहलाता है | 

      फसल की सिंचाई फसल के प्रकार तथा मिट्टी के प्रकृति पर निर्भर करता है | भारत की 58% कृषि मानसून पर निर्भर है | केवल 18% कृषि क्षेत्र को आश्वस्त सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है | 

Class 9th Biology Chapter 5 Notes in Hindi

फसल पैटर्न (Crop Pattern) 

 किसी कृषि क्षेत्र में फसल को उगाने को एक निश्चित क्रम को फसल पैटर्न कहते है | 

फसल चक्र (Crop Rotation):- किसी कृषि क्षेत्र में एक निश्चित अंतराल में फसलों को अदल -बदल कर लगाना फसल चक्र कहलाता है | इसके अंतर्गत दो धान्य फसलों के बीच एक दलहनी पौधों की खेती की जाती है | 

फसल चक्र के लाभ

(1) इससे मिट्टी की उर्वरता कामयाब रहती है |  

(2) इसको अपनाने से उर्वरक की आवश्यकता कम पड़ती है | 

(3) इससे खरपतवार पर नियंत्रण पाना आसान रहता है।  

(4) इससे मिट्टी के संरचना में सुधार का मौका मिलता है | 

(5) इससे पीड़कों (कीड़े-मकोड़े) के नियंत्रण में भी सहायता मिलता है | 

Class 9th Biology Chapter 5 Notes in Hindi

मिश्रित खेती(Mixed Cropping)

 किसी कृषि क्षेत्र में एक साथ अनेक फसलों को उगाने की प्रक्रिया मिश्रित खेती कहलाती है | 

         मिश्रित कृषि में फसलों का चयन करते समय निम्न बातों पर ध्यान देना आवश्यक है | 

(1) उनका परिपक्वन काल अलग होना चाहिए | 

(2) इन फसलों  लम्बाई भी अलग-अलग होनी चाहिए | 

(3) इन फसलों की जड़ों का बनावट भी अलग होना चाहिए | 

(4) इनमे जल सम्बन्धी आवश्यकताएँ भी अलग-अलग होनी चाहिए | 

फसल सुरक्षा प्रबंधन

 विभिन्न कारणों से फसलों की होने वाली क्षति को रोकने के लिए किये गए उपाय फसल सुरक्षा प्रबंधन कहलाता है | 

खरपतवार या अपतृण (Weeds) 

फसलों के बीच उग आये अवांछित पौधे को खरपतवार कहते है | जैसे:- दूब , मोथा , गाजर घास , चौलाई , भतुआ , हिरण सूखी घास , इत्यादि | 

Class 9th Biology Chapter 5 Notes in Hindi

खरपतवारनाशी (Weedicides)

 वे रासायनिक पदार्थ जिसके सहायता से पौधों के बीच उग आये खरपतवार को नियंत्रित करता है, खरपतवारनाशी कहलाता है | 

जैसे:- आइसो प्रोट युरान, सीमाजीन, 2,4-D, फ्लू क्लोरीन , टोक इत्यादि | 

पीड़क (Pests)

 वे सूक्ष्म जीव और कीड़े-मकोड़े जो फसल को नुकसान पहुंचते है पीड़क कहलाते है | जैसे:- घोंघा, पक्षी, नीलगाय, किट इत्यादि |  

पीड़कनाशी (Pesticide)

 जो रसायनिक पदार्थ फसलों को क्षतिग्रस्त करने वाले कीटाणुओं से फसल की रक्षा करता है पीड़कनाशी कहलाता है | जैसे:- मेलैथियॉन , डी.डी.टी. (डाइक्लोरो डाइफेनिल) 2-क्लोरो ब्यूटाडाइन इत्यादि | 

Class 9th Biology Chapter 5 Notes in Hindi

अनाज का भंडारण 

खाद पदार्थों को सुरक्षित रखते हुए उसको गुणवत्ता को बनाए रखना अनाज का भंडारण कहलाता है | 

          अनाज के भंडारण के मुख्यतः दो तरीके है | 

(1) शीत भंडारण(Cold Storage):- अधिक नमी युक्त भोज्य पदार्थों को सुरक्षित भंडारित करना शीत भंडारण कहलाता है | 

       इसके अंतर्गत साग-सब्जी , फल और मांस , मछली एवं दूध का भंडारण किया जाता है | 

(2) शुष्क भंडारण(Dry Storage):- अत्यंत कम नमी युक्त भोज्य पदार्थ के भण्डारण की प्रक्रिया शुष्क भंडारण कहलाता है | जैसे:-अनाज,मसाला इत्यादि | 

      अनाज की उपलब्धता को सालों भर सभी जगह सुविधाजनक रूप से सुनिश्चित करना ही भंडारण का मुख्य उद्देश्य है | 

पशुपालन (Animal Husbandry)

 भोजन उत्पादन सहित अन्य उद्देश्यों के पूर्ति हेतु पशुओ की पालन पोषण के उचित प्रक्रिया को अपनाना पशुपालन कहलाता है | 

         भारत में तत्काल में किये गए पशु सर्वेक्षण के अनुसार भारत में भैंसों की कुल संख्या विश्व के कुल संख्या का 50% भाग है | देश के कुल दुग्ध उत्पादन में भैसों का योगदान 50% , गायों का योगदान 45% तथा भेड़-बकरियों का योगदान 5% है | भारत दूध उत्पादन में संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है | जबकि पशुधन में प्रथम स्थान पर है | 

Class 9th Biology Chapter 5 Notes in Hindi

दूध देने वाली पशुओं की नस्ल

गाय (Cow):- भारत में कुल गायों की 32 नस्ल है , जिनमे तीन देसी नस्ल है | जैसे:- लाल सिंधी, साहीवाल, गिर है जबकि जर्सी, कारन स्विस, होल्स्टाइन, फ्रिसिओन, कारन फ्राइस, तथा फ्रीसिओन- साहीवाल इत्यादि उन्नत नस्ल के गाय है | जो अपने 300 दिनों के दुग्ध स्रवण कल में 30000 से 5000 लीटर तक दूध देती है | 

भैंस(Buffalo):- हमारे देश में भैंसों की कुल 7 नस्ले है | मुर्राह, भदावरी, जाफ़रावादी, सुर्ती, मेहसाणा आदि भैसों की समुनात नस्ल है जो अपने दुग्ध स्रवण काल में 2000 लीटर दूध देती है |

पशु-आहार 

पशु-आहार के मुख्य पांच घटक होते है – 

(१) रुक्षांश(Roughage):- कम पोषण युक्त वाले रेशेदार पदार्थ पुआल,भूसा आदि जिससे मवेशी अपना पेट भरते है रुक्षांश कहलाता है | 

(२) सान्द्र पदार्थ (Concentrates):- विभिन्न प्रकार के अनाज जैसे- ज्वार, बाजरा, मक्का,चन्ना, खली आदि को सान्द्र पदार्थ कहते है | 

(३) खनिज पदार्थ :- विभिन्न खनिज जैसे- कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम,आदि के समृद्ध पदार्थ को खनिज पदार्थ कहते है | इससे पशुओं के हड्डियों, दांतों, सींगों, खुरों अदि का विकास होता है | 

(४) जल :- यह भी पशुओं के पोषण के लिए महत्वपूर्ण पदार्थ है | जिसकी आवश्यकता अलग-अलग जीवों को अलग-अलग मात्रा में होती है | 

कुक्कुट (Poultry):- भारत में कुक्कुट की दो देशज नस्ल असील और बसरा है | जबकि विदेशी नस्ल की संकर प्रजाति ILS-82, B-77, HH-260, ISL-82, व्हाइट लेग हर्म , रोड आइसलैंड रेड, तथा लाइट सीयूसेक्स आदि है | यह नस्ल प्रति वर्ष 200 अंडे देती है | 

मत्स्य उत्पादन(Pisco Production)

कृत्रिम जलीय पारितंत्र का निर्माण कर मछलियों के पालन पोषण के द्वारा उनके उत्पाद की प्रक्रिया को मत्स्य उत्पादन कहते है | 

Class 9th Biology Chapter 5 Notes in Hindi

मत्स्य पालन(Pisciculture)

 मछलियों के व्यापारिक उत्पादन के लिए, उनका पालन करना , उनका प्रजनन करना एवं उनके अंडे से नए मछलियों का उत्पादन करना मत्स्य पालन कहलाता है | 

मृदु जल की मछलियां :- तालाबों,नहरों, नदियों, झीलों में पाए जाने वाली मछलियां मृदु जल की मछलियां  कहलाती है| जैसे-रोहू, कतला,झींगा आदि |   

लवणीय जल की मछलियां:- समुन्द्रो में पाए जाने वाली मछलिया लवणीय जल की मछलियां कहलाती है | जैसे-सालमन बौंबे डक , पॉमफ्रेट , सार्डिन, व्हेल, शार्क,हिलसा,मैक्रेल, सिल्वर वेलिज, बील किस  आदि |   

मधुमक्खी पालन (Beekeeping)

 मधु अर्थात शहद पालन करने के लिए मधुमक्खियों को पलना मधुमक्खी पालन कहलाता है |

     मधुमक्खी पालन की प्रक्रिया एक लघु उद्योग है , जो कम पूंजी से ही शुरू हो जाता है | मधु उत्पादन के लिए ऐसीप सेरणा इंडिका , ऐसीप डोर सेटा, (सैलमक्खि ) ऐसीप क्लोरी (छोटी मक्खी ) तथा इटालियन प्रजाति के ऐसीप मैलिकेरा का पालन पोषण किया जाता है |

यह भी  पढ़े :

निष्कर्ष (Conclusion) : Class 9th Biology Chapter 5 Notes in Hindi

इस पोस्ट में हमने आपको Class 9 Biology Chapter 5 Notes in Hindi का लगभग सभी पॉइंट्स को बता दिया है | हमें आशा है कि आपको हमारी यह नोट्स पसंद आयी होगी | 

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