Best Gulzar Shayari in Hindi: अगर आप इमेज के साथ सबसे बेहतरीन गुलज़ार शायरी हिंदी में खोज रहे हैं, तो आप सही जगह पर आए हैं। यहां आपको गुलज़ार साहब की दुख भरी शायरी का एक शानदार संग्रह पढ़ने और कॉपी करने को मिलेगा, जिसे आप अपने दोस्तों के साथ आसानी से शेयर कर सकते हैं।
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Gulzar Saab Ki Hindi Shayari
काश कोई हमें भी ऐसा चाहे
जैसे कोई तकलीफ में
सुकून चाहता है
बड़ी मुददत से मिलता है
बड़ी शिददत से चाहने वाला
हम चाय पीकर
कुल्हड़ नहीं तोड़ पाते
दिल तो खैर
बहुत दूर की बात है
छोड़ दो ये बहाने
जो तुम करते हो,
हमें भी अच्छे से मालूम है
मज़बूरियाँ तभी आती हैं
ज़ब दिल भर गया हो
बटुए को क्या मालूम पैसे उधार के है
वो तो बस फूला ही रहता है अपने गुमान में
इस दौर के लोगो में वफ़ा ढूंढ रहे हो
बड़े नादान हो साहब
ज़हर की शीशी में दवा ढूंढ रहे हो
जो हमारे जज्बातो
की कद्र नही कर सकते,
उनके पीछे पागल होना
प्यार नहीं बेवकूफ़ी है
Short Gulzar Shayari Hindi Mein
खुशियाँ चाहे
किसी के साथ भी बाँट ले पर
अपने गम किसी
भरोसेमंद के साथ ही बांटने चाहिए
कभी इसका दिल रखा
कभी उसका दिल रखा
इस कशमकश में भूल गए
खुद का दिल कहां रखा
ये तो दस्तूर है
जो जितने पास है
वो उतना ही दूर है
माफ़ी चाहता हूँ
तेरा गुनहगार हू ऐ दिल,
तुझे उसके हवाले किया
जिसे तेरी क़दर नही थी
जाने वाले को जाने दीजिये
आज रुक भी गया तो
कल चला जायेगा
मुझे रिश्तो की लंबी कतारों से
मतलब नहीं
कोई दिल से हो मेरा तो
एक शख्स भी काफी है
वैसे दुनिया में आते है
सभी मरने के लिए
पर असल मौत उसकी है
जिसका अफ़सोस ज़माना करे
तुम्हें मोहब्बत कहां थी
तुम्हें तो सिर्फ़ आदत थी
मोहब्बत होती तो हमारा
पल भर का बिछड़ना भी
तुम्हे सुकून से जीने नहीं देता।
हालात दिखा देते है
बातें सुनना और सहना
वरना हर शख्स अपने
आप में बादशाह होता है
मै ही मनाऊ हमेशा तुझे
कभी तू भी तो मना मुझे
महसूस तो करू कैसा लगता है
जब यार अपना मनाता है
मुझे तो तोफे में
अपनों का वक़्त पसंद है
मगर आज कल इतने महंगे
तोफे देता कौन है
अगर किसी से बिछड़ने का डर
तुम्हें हर रोज़ रहने लगे तो
यकीन मानो कि उस इंसान को
तुम एक दिन खो ही दोगे
Gulzar Shayari in Hind
यहाँ हर किसी को दरारों में
झाँकने की आदत है
दरवाज़े खोल दो
कोई पूछने तक नहीं आएगा
जो साथ रहकर भी साथ न हो
वो दूर ही रहे तो अच्छा है
पलट कर जवाब देना
बेशक गलत बात है
लेकिन सुनते रहो तो लोग
बोलने की हदें भूल जाते है
पूछा जो हमने किसी और
के होने लगे हो क्या,
वो मुस्कुरा कर बोले
पहले तुम्हारे थे क्या
तिनका सा मै और
समुंदर सा इश्क़
डूबने का डर और
डूबना ही इश्क़
सोचता था दर्द की दौलत से
एक मै ही मालामाल हूँ
देखा जो गौर से तो
हर कोई रईस निकला
अब मुझे रास आ गया है
अकेलापन
अब आप अपने वक़्त का
अचार डाल दीजिये
ख़ुदा तूने तो लाखो की
तकदीर संवारी है,
मुझे दिलासा तो दे की
अब तेरी बारी हैं
फुरसत में याद करना हो तो
मत करना
हम अकेले जरूर है
मगर फ़िज़ूल नहीं
जब अपने ही परिंदे
किसी और के दाने के
आदि हो जाये तो
इन्हे आज़ाद कर देना चाहिए
बुरा वक़्त तो गुज़र ही जायेगा
बस वही लोग नहीं गुज़रते
जिनकी वजह से वो बुरा वक़्त आया है
याद रखना दर्द भी वही देते है
जिन्हें हक दिया जाता है,
वरना गैर तो धक्का लगने पर भी
माफी माँग लिया करते है
हम अपनी इस अदा पर गुरुर करते है
किसी से प्यार हो या नफरत भरपूर करते है
अंजान परिंदे उड़ गए उनका क्या दुःख
यहाँ तो पाले हुए दूसरों की छत पर उतर रहे है
रुतबा कम है मगर लाज़वाब है मेरा
जो हर किसी के दर पर दस्तक दे
वो किरदार नहीं मेरा
एक दिन शिकायत तुम्हें
वक्त से नहीं खुद से होगी,
कि जिंदगी सामने थी
और तुम दुनिया में उलझे रहे
चुभता हूँ सबको
कोई छूरा तो नहीं हूँ
तुम बताते हो जितना
उतना बुरा तो नहीं हूँ
किसी को आसानी से मत मिल जाना
लोग रास्ता समझने लगते है
दिल के मरीज़ हॉस्पिटल
से जयादा ऑनलाइन मिलते है
इतने जल्द ना सारे राज
बताया करो,
बात अगर लंबी करनी हो
तो कुछ राज छुपाया करो
“भरोसा नहीं है क्या मुझपे”
ये लाइन बोलकर पता नहीं
कितने लोग धोखा दे देते है
चाहते है वो हर रोज़ एक नया चाहने वाला
ए खुदा मुझे हर रोज़ एक नई सूरत दे दे
छू न पाया मेरे अंदर की उदासी को कोई
मेरे चेहरे ने इतनी अच्छी अदाकारी की
Heart-touching Sad Gulzar Shayari
दुसरो को इतनी जल्दी
माफ़ कर दिया करो
जितनी जल्दी आप
उपरवाले से अपने लिए
माफ़ी की उम्मीद रखते हो
मुझसे धोखा दिया नहीं जाता
मै साथ दुनिया के चलू कैसे
मै सबका दिल रखता हूँ और
सुनो मै भी एक दिल रखता हूँ
दूरियां जब बढ़ी तो
गलतफहमियां भी बढ़ गई,
फिर उसने वो भी सुना
जो मैंने कहा ही नहीं
4 Lines Gulzar ki Shayari
मशवरा तो खूब देते हो की खुश रहा करो
कभी खुश रहने की वजह भी दे दिया करो
मुझे किसी के बदल जाने का कोई गम नहीं
बस कोई था जिससे ये उम्मीद नहीं थी
लोग कहते है भूल जाओ उसे
कितना आसान है न मशवरा देना
जहाँ जाना है जाओ,
तुमसे अब कोई रिश्ता थोड़ी है,
जिसके लिए मुझे छोड़ के गए हो
वो भी कोई फरिश्ता थोड़ी है
हमसे रिश्ता बनाये रखना
हम वहाँ काम आते है
जहाँ सब साथ छोड़ जाते है
मै वो क्यों बनू जो तुम्हे चाहिए
तुम्हे वो कबूल क्यों नहीं जो मै हूँ
मुम्किन है मेरे किरदार में बहुत सी खामिया होंगी
पर शुकर है किसी के जज़्बात से खेलने का हुनर नहीं आया
चलो ये अच्छा हुआ
नींद ले गया वरना
तेरा ख़्याल..
मेरी जान भी ले सकता था
कहा था ना की एक दिन मुझे फरक पड़ना ही बंद हो जायेगा
वो दिन आ गया है आज़ाद हो तुम, अपना ख्याल रखना
गैर क्यों ले जा रहे है अपने कंधे पर
अरे हां मेरे अपने तो कब्र खोद रहे है
मोहब्बत क्या है उस
शख़्श से पूछो,
जिसने दिल टूटने के बाद भी
इंतेज़ार किया हो
लिहाज़ नहीं रखते हम संस्कारो का
लहजा बदल जाये अगर बात करने वालो का
उसको दुःख ही नहीं जुदाई का
बस ये दुःख ही खा गया मुझको
लोगो को हद से जयादा
इज़्ज़त और भरोसा दोगे
वो उठाकर आपके मुँह पर
बेइज़्ज़ती और धोखा ही मरेगा
फितरत में ही नहीं है
हर किसी का हो जाना,
वरना न प्यार कि कमी थी
न प्यार करने वालों की
उसने ये सोचकर मुझे अलविदा कह दिया
की गरीब है मोहब्बत के सिवा क्या देगा
दर्द को छोड़ कर हार में तू राज़ी है
भूल रहा तेरे हाथो में अभी बाज़ी है
सुनाऊ क्या?
किस्सा थोड़ा अजीब है,
जिसने खंज़र मारा है
वही दिल के करीब है
बातें तो सिर्फ जज़्बातों
की है वरना मोहब्बत तो
सात फेरो के बाद भी नहीं होती
Short Gulzar Shayari Hindi Mein
मुद्द्ते गुज़र गयी
हिसाब नहीं किया
न जाने अब
किसके कितने रह गए है हम
मेरी तो खुद की किस्मत
साथ नहीं देती
तुम तो “खैर” तुम हो
पतझड़ में सिर्फ पत्ते गिरते है
नज़रो से गिरने का कोई
मौसम नहीं होता
इतने बेवफा नहीं हैं
जो तुम्हें भुल जाएंगे,
अक्सर चुप रहने वाले
प्यार बहुत करते है
कभी कभी की मुलाकात अच्छी है
कदर खो देता है
हर रोज़ का आना जाना
तुम बदले तो हम भी
कहाँ पुराने से रहे
तुम आने से रहे तो
हम भी बुलाने से रहे
ना समझ है वो अभी
मेरी बात नहीं समझेगा
मेरी जगह नहीं है
न मेरे हालात नहीं समझेगा
कर दिया आजाद उनको
जो दिल में हमारे रहकर,
ख्वाब किसी और के देखते थे
Short Gulzar Shayari Hindi Mein
मोहब्बत और वफ़ा गयी तेल लेने
पहले ये बताओ की
कश्ती वहां कैसे डूबी
जहां पानी कम था
वो सफर बचपन के
अब तक याद आते है मुझे
सुबह जाना हो कहीं,
तो रात भर सोते न थे
ज़माने की तो फ़ितरत ही है
बातों से मुकर जाना
हम ही पागल थे जो
वादों पर ऐतबार किया करते थे
सभी के नाम पर
नहीं रूकती धड़कने
दिलो के भी
कुछ उसूल हुआ करते है
मुझे लगता था
उसे मुझसे मोहब्बत है
कहा न लगता था
सोचकर बाजार गया था
अपने कुछ आंसू बेचने
हर खरीददार बोला अपनों के दिए
तोफे बेचा नहीं करते
कभी घमंड ना करना
अपनी मोहब्बत पे,
तुम से बेहतर मिलने पर
तुम ठकरा दिए जाओगे
खामोशियां भी रिश्ते खा जाती है
थोड़ा ही साही ताल्लुक़ जिंदा रखिये
इश्क़ की अपनी ही
बचकानी ज़िद होती है
चुप करवाने के लिए भी
वही चाहिए जो रुलाकर गया है
Painful Gulzar Shayari in Hindi
बिछड़ते वक़्त मेरे सारे ऐब गिनाये उसने
सोचता हूँ जब मिला था
तब कोन सा हुनर था मुझमे
जो सबके ही करीब हो,
उसको पाकर कोई कैसे
खुशनसीब हो
धागे बड़े कमज़ोर चुन लेते है हम,
और फिर पूरी उम्र
गांठ बांधने में निकल जाती है
हर तरीका आज़मा चुका हूँ
तुम्हें मनाने का,
कहाँ से सीख के आये हो
ये अंदाज रूठ जाने का
कभी कभी उनसे भी दूर होना पड़ता है
जिनके साथ हम ज़िंदगी गुज़ारना चाहते थे
कौन देता है उम्र भर का साथ
लोग जनाज़े में भी कंधा बदलते है
हमें भी सीखा दो
यूँ भूल जाने का हुनर
अब हमसे रातों को
उठ उठ कर रोया नहीं जाता
इंसान यूं ही नहीं मतलबी कहा जाता है
उसे अपने सुख से ज़यादा,
दूसरे के दुःख में मज़ा आता है
तुम बदले तो हम भी कहाँ पुराने से रहे
तुम आने से रहे तो हम भी बुलाने से रहे
गलती बस एक ही हुई
मुझसे ज़िंदगी में..
जिसने मुड़कर भी ना देखा,
मैंने उसका इंतज़ार किया
यही तो ज़माने का उसूल है
जरुरत हो तो खुदा
वरना बंदा फ़िज़ूल है
इस दौर के लोगो में वफ़ा ढूंढ रहे हो
बड़े नादान हो साहब
ज़हर की शीशी में दवा ढूंढ रहे हो
हमने कहा उनसे
हम बहुत रोते हैं तुम्हारे लिए,
वो बोले रोते तो सब हैं
तो हम क्या सबके हो जाए
बस यही “दौड़” है इस दौर के इंसानो की
तेरी दीवार से ऊँची मेरी दीवार बने
कुछ तो बात है मोहब्बत में
वरना एक लाश के लिए
कोई ताज महल नहीं बनता
जिस्म से होने वाली मोहब्बत का
इज़हार आसान होता है…
रूह से हुई मोहब्बत समझने में
ज़िन्दगी गुज़र जाती है
ज़रा सी बात पर शौक करना
मेरी आदत नहीं
गहरी जड़ का बरगद हूँ
दीवार पर ऊगा पीपल नहीं
एक शख्स जो इतना सताता है
सुकून भी न जाने क्यों
उसी के पास आता है
एक दिन तुम मुझे
इसलिए भी खो दोगे कि
हमारी रोज़ बात नहीं होती
Short Gulzar Shayari Hindi Mein
मै तुझे बार बार
इसलिए समझता हूँ
तुझे टुटा हुआ देखकर
मै खुद भी टूट जाता हूँ
बस यही “दौड़” है
इस दौर के इंसानो की
तेरी दीवार से ऊँची मेरी दीवार बने
मोहब्बत की है तुम से,
बेफिक्र रहो,
नाराज़गी हो सकती है,
पर नफ़रत कभी नहीं होंगी
चाहने वालो को नहीं मिलते
चाहने वाले
हमने हर दगाबाज़ के साथ
सनम देखा है
हम अफ़सोस क्यों करे की
कोई हमे ना मिला
अफ़सोस तो वो करे
जिन्हे हम ना मिले
ख्वाहिश तो न थी किसी से
दिल लगाने की
पर किस्मत में दर्द लिखा हो
तो मोहब्बत कैसे न होती।
ना मांग कुछ ज़माने से
ये देकर फिर सुनाते है
किया एहसान जो एक बार
वो लाख बार जताते है
मेरे तो दर्द भी औरों के काम आते है
मै रो पढू तो कई लोग मुसकुराते है
एक वक़्त के बाद
हर कोई गैर हो जाता है,
उम्र भर किसी को अपना
समझना एक वहम है
कितने अजीब होते है
ये मोहब्बत के रिवाज़ भी
लोग आप से तुम ,
तुम से जान और जान से
अनजान बन जा
जिस दिन उस पर
दिल आया था
उस दिन मौत आ जाती
तो ज़्यादा अच्छा था
“भरोसा नहीं है क्या मुझपे”
ये लाइन बोलकर पता नहीं
कितने लोग धोखा दे देते है
चाहते है वो हर रोज़ एक नया चाहने वाला
ए खुदा मुझे हर रोज़ एक नई सूरत दे दे
छू न पाया मेरे अंदर की उदासी को कोई
मेरे चेहरे ने इतनी अच्छी अदाकारी की है
निष्कर्ष
हम दिल से उम्मीद करते हैं कि आपको यह “Gulzar Shayari in Hindi” पोस्ट पसंद आई होगी। अगर आपको गुलज़ार साहब की शायरी अच्छी लगी हो, तो इसे अपने दोस्तों और चाहने वालों के साथ ज़रूर शेयर करें। साथ ही इसे फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी शेयर करें।
आपको इस तरह की और भी बेहतरीन शायरियां पढ़ने के लिए Gam Shayari पर हमेशा स्वागत रहेगा।