Class 9th Chemistry Chapter 3 Notes in Hindi : प्रसिद्ध भारतीय महर्षि कणाद ने अपनी रचना में कहे की पदार्थ अत्यंत सूक्ष्म कणों के मिलने से बना होता है जो कण अविभाज्य होता है | इसका नाम उन्होंने परमाणु रखा |
नमस्कार दोस्तों हम आपके लिए लेकर आये है Class 9th के Chemistry के Chapter 3 का हिंदी Notes | इस पोस्ट में कक्षा 9 के विज्ञान के पाठ 3 परमाणु, अणु और आयन (Atom, Molecules And Ion) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 9 में है एवं विज्ञान विषय पढ़ रहे है। इस पोस्ट में आपको Chapter 3 का बहुत ही सटीक और पूरी जानकारी मिलेगी जो आपको अपने Chapter 3 में पढ़ना है | इस नोट्स को पढ़कर आप बहुत ही कम समय में अपने बोर्ड एग्जाम की तैयारी कर सकते हैं
Class 9th Chemistry Chapter 3 Notes in Hindi Overview
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board, CGBSE Board, MPBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 9Th |
Subject | Science |
Chapter no. | Chapter 3 |
Chapter Name | परमाणु, अणु और आयन (Atom, Molecules And Ion) |
Category | Class 9Th Science Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
प्रसिद्ध भारतीय महर्षि कणाद ने अपनी रचना में कहे की पदार्थ अत्यंत सूक्ष्म कणों के मिलने से बना होता है जो कण अविभाज्य होता है | इसका नाम उन्होंने परमाणु रखा |
रासायनिक संयोग का नियम ( Law of Chemical Combination)
जब भी दो या दो से अधिक पदार्थ रासायनिक अभिक्रिया के द्वारा नए पदार्थ में परिवर्तित होते हैं, तो वहां कुछ निश्चित नियमों का पालन होता है इस नियम को ही रासायनिक संयोग का नियम कहते हैं |
रासायनिक संजोग के निम्नलिखित नियम होते हैं –
1. द्रव्यमान संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Mass)
जब भी कोई पदार्थ रासायनिक संयोग के द्वारा नए पदार्थ का निर्माण करता है, तो इस दौरान उनके द्रव्यमान नियत होते हैं |
(I) C + O2 CO2
12g + 216g 12g + 216g
44g 44g
रासायनिक संयोग के इस नियम की व्याख्या लेवोजियर नामक फ्रांसीसी वैज्ञानिक ने किया |
2. स्थिर अनुपात का नियम (Law of Constant Proportion)
किसी पदार्थ में उनके अव्यय घटकों के द्रव्यमान का अनुपात सदैव नियत अनुपात में होता है | चाहे उस पदार्थ को किसी भी स्रोत से प्राप्त किया जाए, इसे ही स्थिर अनुपात का नियम कहते हैं | इस नियम का प्रतिपादन प्राउस्ट नामक वैज्ञानिक ने किया |
3. गुणित अनुपात का नियम (Law of Multiple Proportion)
जब एक पदार्थ, जिसका द्रव्यमान समान हो, यदि दूसरे पदार्थ जिसका द्रव्यमान भिन्न-भिन्न हो, से संजोग करता है तो प्राप्त पदार्थ भिन्न-भिन्न होते हैं, साथ ही भिन्न पदार्थों के द्रव्यमान का अनुपात एक सरल अनुपात में होता है | इसे ही रासायनिक संयोग के गुणित अनुपात का नियम कहते हैं | जैसे-
(I) 2H2+O2=2H2O (जल)
H2+O2=H2O2 (हाइड्रोजन पर ऑक्साइड)
डाल्टन का परमाणु सिद्धांत
रासायनिक संयोग के नियम की व्याख्या के क्रम में प्रसिद्ध अंग्रेज वैज्ञानिक जॉन डाल्टन ने पदार्थ के रचना के संबंध में कुछ विचार दिए जिसे डाल्टन का परमाणु सिद्धांत कहते हैं |
इस सिद्धांत की प्रमुख बातें निम्नवत है-
- सभी पदार्थ परमाणु के बने होते हैं |
- परमाणु अत्यंत सूक्ष्म कण है, जो अविभाज्य होता है अर्थात इसका खंड या टुकड़ा नहीं किया जा सकता है |
- इसे रासायनिक अभिक्रिया में ना तो निर्मित किया जा सकता है और नहीं इसका विनाश किया जा सकता है |
- एक तत्वों के सभी परमाणु का द्रव्यमान और रासायनिक गुण सामान्य होता है |
- भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु परस्परं सरलतम अनुपात में संजोग कर यौगिक बनता है |
- किसी भी यौगिक में परमाणु की संख्या और प्रकार निश्चित होता है |
- भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु भिन्न द्रव्यमान और गुण वाला होता है |
डाल्टन के परमाणु सिद्धांत के दोष
डाल्टन के परमाणु सिद्धांत के निम्नलिखित दोष हैं –
- डाल्टन के अनुसार परमाणु अविभाज्य है किंतु नाभिकीय अभिक्रिया के द्वारा डाल्टन के इस नियम को गलत सिद्ध किया गया |
- डाल्टन के अनुसार परमाणु पदार्थ का सूक्ष्मतम कण है, किंतु इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन इत्यादि के खोज से इस नियम को भी गलत सिद्ध किया गया |
- डाल्टन के अनुसार एक ही तत्वों के परमाणु समान द्रव्यमान और गुण वाले होते हैं किंतु समस्थानिकों के खोज से यह नियम भी गलत सिद्ध हो गया |
- डाल्टन के अनुसार भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु भिन्न-भिन्न द्रव्यमान और गुण वाले होते हैं, किंतु समभारिक की खोज से डाल्टन के इस नियम को भी गलत कर दिया गया |
परमाणु (Atom)
पदार्थ का वह सबसे छोटी रचनात्मक इकाई, जो रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेता है, परमाणु कहलाता है |
इसका आकार अत्यंत छोटा एवं वृत्तीय होता है, जिसकी त्रिज्या लगभग 10-9m होता है | इस मान को एक नैनोमीटर भी कहते हैं | अब तक ज्ञात तत्वों में हाइड्रोजन सबसे छोटा परमाणु है जिसकी त्रिज्या 10-10m होता है |
STM – Scanning Tunneling Microscope
ऐसा उपक्रम जिसके सहायता से किसी तत्व में उपस्थित सभी परमाणुओं को स्पष्ट रूप से देखा जा सके STM कहलाता है |
संकेत (Symbol) : अंग्रेजी या लैटिन भाषा के अक्षरों द्वारा किसी तत्व को व्यक्त करना ही उस तत्व का संकेत कहलाता है |
यह संकेत उस तत्व के एक परमाणु या एक इलेक्ट्रॉन को व्यक्त करता है |
तत्वों को व्यक्त करने में हो रही कठिनाई को दूर करने के लिए जे जे बर्जीलियस ने किसी तत्व के संकेत को लिखने के लिए अंग्रेजी नाम के पहले बड़े अक्षर का प्रयोग किया | जैसे –
तत्व | अंग्रेजी नाम | संकेत |
हाइड्रोजन | Hydrogen | H |
बोरॉन | Boron | B |
ऑक्सीजन | Oxygen | O |
नाइट्रोजन | Nitrogen | N |
कार्बन | Carbon | C |
सल्फर | Sulphur | S |
फास्फोरस | Phosphorus | P |
फ्लोरीन | Fluorine | F |
यदि दो या अधिक तत्वों के अंग्रेजी नाम एक ही अक्षर से आरंभ हो, तो उसके संकेत के लिए प्रथम अक्षर के साथ दूसरे अक्षर या अन्य किसी अक्षर का प्रयोग किया जाता है | जैसे –
तत्व | अंग्रेजी नाम | संकेत |
हीलियम | Helium | He |
ब्रोमीन | Bromine | Br |
एल्युमिनियम | Aluminium | Al |
आर्गन | Argon | Ar |
बेरियम | Barium | Ba |
कैल्शियम | Calcium | Ca |
बिस्मथ | Bismuth | Bi |
सिलिकॉन | Silicon | Si |
क्रिप्टन | Krypton | Kr |
कुछ तत्वों के संकेत उनके लैटिन नाम से दिए जाते हैं | जैसे –
तत्व | अंग्रेजी नाम | लैटिन नाम | संकेत |
सोडियम | Sodium | Natrium | Na |
पोटैशियम | Potassium | Kalium | K |
कॉपर (तांबा) | Copper | Cuprum | Cu |
लोहा | Iron | Ferrum | Fe |
सोना | Gold | Aurum | Au |
चांदी | Silver | Argentum | Ag |
पारा | Mercury | Hydrargyrum | Ag |
शीशा | Lead | Plumbum | Pb |
टीन | Tin | Stannum | Sn |
परमाणु द्रव्यमान (Atomic Mass): किसी तत्व के एक परमाणु के द्रव्यमान को ही परमाणु द्रव्यमान कहते हैं |
परमाणु द्रव्यमान भिन्नांक होने के कारण इसके मापन हेतु IUPAC सिस्टम द्वारा सन 1971 ईस्वी में कार्बन परमाणु के द्रव्यमान को आधार मानते हुए एक मापन इकाई का निर्माण किया गया जिसे परमाणु द्रव्यमान इकाई कहते हैं |
इस इकाई के रूप में कार्बन 12 समस्थानिकों के एक परमाणु के द्रव्यमान के 12 वे भाग को आधार माना गया है और परमाणु द्रव्यमान को परिभाषित किया गया है जो इस प्रकार है –
किसी तत्व के परमाणु द्रव्यमान वह संख्या है जो यह बताता है कि उस तत्व का परमाणु द्रव्यमान कार्बन 12 परमाणु के द्रव्यमान के 12 वे भाग से कितना गुना भारी है |
परमाणु का अस्तित्व – प्रकृति में किसी तत्व के परमाणु का अस्तित्व दो रूपों में होता है –
- अणु के रूप में :– जो तत्व प्रायः कम क्रियाशील होते हैं वह अपने मूल रूप में ही पाए जाते हैं | ऐसे अणु को एक परमाणुक अणु (Monatomic Molecules) कहते हैं | जैसे- हीलियम, नियॉन, आर्गन इत्यादि |
- अयान के रूप में :- जो परमाणु अपेक्षाकृत अधिक क्रियाशील होते हैं वह स्थाई होने के लिए आयन का रूप धारण करते हैं इस आयन का निर्माण इलेक्ट्रॉन के त्याग अथवा इलेक्ट्रॉन के ग्रहण से होता है |
अणु (Molecules)
पदार्थ का वह सूक्ष्मतम कण जो स्वतंत्र अवस्था में पाया जाता है तथा स्थायी होता है अणु कहलाता है |
अणु के प्रकार : अणु मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं –
1. तत्व के अणु
जिस अणु में केवल एक ही प्रकार के परमाणु उपस्थित रहते हैं तत्व के अणु कहलाते हैं | जैसे – हीलियम(He), हाइड्रोजन(H2), क्लोरीन(Cl), फास्फोरस(P4), सल्फर(S8) इत्यादि |
परमाणुकता (Atomicity) : किसी तत्व के एक अणु में उपस्थित परमाणुओं की कुल संख्या को ही उस तत्व का परमाणुकता कहते हैं | जैसे – S8 में गंधक की परमाणुकता आठ है |
परमाणुकता के आधार पर तत्व के अणु को निम्न भागों में बांटा गया है –
(I) एक परमाणुक अणु (Monatomic Molecules) : जिस तत्व के एक अणु में उस तत्व के परमाणु की संख्या एक हो, तो उसे एक परमाणुक अणु कहते हैं | जैसे – He, Ne, Ar, Na, Ma, Ca, Al, Cu इत्यादि |
(II) द्विपरमाणुक अणु (Diatomic Molecules): जिस तत्व के एक अणु में उस तत्व के परमाणु की कुल संख्या दो हो, द्विपरमाणुक अणु कहलाता है | जैसे – हाइड्रोजन(H2), ऑक्सीजन(O2), नाइट्रोजन(N2) इत्यादि |
(III) त्रिक परमाणुक अणु (Triatomic Molecules) : जब किसी तत्व के एक अणु में उस तत्व के परमाणु के कुल संख्या तीन हो तो उसे ट्रिक परमाणुक अणु कहते हैं | जैसे – एलुमिनियम आयन(Al3+), ओजोन(O3), जल(H2O) इत्यादि |
(IV) चतुष् परमाणुक अणु (Tetroatomic Molecules) : जब किसी तत्व के एक अणु में उस तत्व के परमाणुओं की कुल संख्या चार हो, तो उसे चतुष् परमाणुक अणु कहते हैं | जैसे – फास्फोरस(P4), अमोनिया(NH3) इत्यादि |
(V) बहुपरमाणुक अणु (Polyatomic Molecules) : जब किसी तत्व के अणु में उस तत्व के परमाणुओं की संख्या चार से अधिक हो, तो उसे बहुपरमाणुक अणु कहते है | जैसे – सल्फर(S8), मीथेन(CH4) इत्यादि |
2. यौगिक के अणु
जिस अणु का निर्माण दो या दो से अधिक तत्वों के परमाणुओं के मिलने से होता है, यौगिक के अणु कहलाता है | जैसे – जल के अणु(H2O), कार्बन डाइऑक्साइड के अणु(CO2), हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के अणु(HCl), सोडियम क्लोराइड (नमक) का अणु (NaCl) इत्यादि |
परमाणु और अणु में अंतर
परमाणु | अणु |
1. यह तत्व का सबसे सूक्ष्मतम रूप है | | 1. यह तत्व तथा यौगिक दोनों का सूक्ष्मतम रूप है | |
2. यह प्रायः स्वतंत्र अवस्था में नहीं पाया जाता है | | 2. यह प्रायः स्वतंत्र अवस्था में पाया जाता है | |
3. इसका आकार सदैव गोलीय होता है | | 3. इसका आकार गोलीय एवं अन्य ज्यामितीय आकृतियों के समान होता है | |
4. इससे सामान्य रासायनिक विधि द्वारा विभाजित नहीं किया जा सकता है | | 4. इसे सामान्य रासायनिक विधि द्वारा विभाजित किया जा सकता है | |
5. एक ही तत्व के परमाणु समान गुण वाले होते हैं | | 5. एक ही यौगिक के सभी अणु समान गुण वाले होते हैं | |
आयन (Ion) : आवेशित परमाणु को आयन कहते हैं |
आयन के प्रकार : आयन के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं –
1. ऋणायन (Anion): जब किसी तत्व के परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण किया जाता है, तो वह ऋणावेशित हो जाता है | इस प्रकार बने ऋणावेशित परमाणु को ऋणायन कहते हैं | जैसे – Cl (e=17 p=17)
Cl+e – Cl–
परमाणु – 17 ऋणायन
2. धनायन (Cation) : जब किसी तत्व के परमाणु द्वारा एक इलेक्ट्रॉन को त्याग किया जाता है, तो उस पर इकाई धन आवेश उत्पन्न होता है | इस प्रकार आवेशित परमाणु को धनायन कहते हैं | जैसे सोडियम (Na) e=11 p=11
Na-e – Na+
e=8,8,1 e=2,8=10
P=11 P=11
परमाणु – 11 धनायन
परमाणु और आयन में अंतर
परमाणु | आयन |
1. यह विद्युत उदासीन होता है | | 1. यह आवेशित होता है | |
2. इसमें इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन की संख्या सदैव बराबर होती है | | 2. इसमें इलेक्ट्रॉन की संख्या प्रोटॉन से कम हो सकता है | |
3. यह अपेक्षाकृत अधिक क्रियाशील होता है | | 3. यह अपेक्षाकृत कम क्रियाशील होता है | |
4. यह आकर में बड़ा होता है | | 4. यह आकार में छोटा होता है | |
5. इसके बाहरी कक्षा में इलेक्ट्रॉन की संख्या एक से लेकर आठ तक होती है | | 5. इसके बाहरी कक्षा में सदैव आठ इलेक्ट्रॉन रहते हैं | |
बहुपरमाणुक आयन (Polyatomic Ion) : जिस आयन का निर्माण दो या दो से अधिक परमाणु समूहों से होता है, बहुपरमाणुक आयन कहलाता है | इसे संयुक्त आयन भी कहते हैं |
जैसे – कार्बोनेट आयन (CO3)2+, सल्फेट आयन (SO4)2-, अमोनियम आयन (NH4)+, नाइट्रेट आयन (NO3)–, फास्फेट आयन (PO4)3-, हाइड्रोक्साइड आयन (OH–) इत्यादि |
रासायनिक सूत्र लिखना
किसी यौगिक के अणु के रासायनिक सूत्र लिखने के क्रम में उस यौगिक में उपस्थित विभिन्न तत्वों के परमाणु या आयनो के द्वारा अपने संयोजकता का अदला बदली किया जाता है |
रासायनिक सूत्र लिखने के नियम
रासायनिक सूत्र लिखने में निम्नलिखित नियमों का पालन किया जाता है |
- परमाणु तथा आयन की संयोजकता को संतुलित किया जाता है |
- जब यौगिक के अणु का निर्माण धातु तथा अधातु से हुआ हो, तो धातु को बाएं तरफ एवं अधातु को दाएं तरफ लिखा जाता है |
- बहुपरमाणुक के स्थिति में उसे छोटा कोष्टक में लिखकर उनके अनुपात को बराबर किया जाता है |
संयोजकता (Valency) : इसे दो प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है –
1. हाइड्रोजन के आधार पर :- किसी तत्व की संयोजकता हाइड्रोजन परमाणु की वह संख्या है, जो उस तत्व के एक परमाणु से संयोग करता है | जैसे- जल (H2O), इसमें ऑक्सीजन की संयोजकता 2 है , क्योंकि ऑक्सीजन एक परमाणु से हाइड्रोजन के दो परमाणु संजोग कर रहे हैं |
अमोनिया (NH3), इसमें नाइट्रोजन की संयोजकता तीन है, क्योंकि नाइट्रोजन का एक परमाणु, हाइड्रोजन के तीन परमाणु से संयोग करता है |
2. इलेक्ट्रॉन के संदर्भ में :- किसी तत्व की संयोजकता उसके तत्व के अणु में परिवर्तन के दौरान त्याग किए गए इलेक्ट्रॉन या ग्रहण किए गए इलेक्ट्रॉन या साझा में दिए गए इलेक्ट्रॉन की संख्या के बराबर होता है |
अथवा, किसी तत्व के बाह्यतम कक्षा में उपस्थित इलेक्ट्रॉन की संख्या आठ में से उस इलेक्ट्रॉन की संख्या में से घटाने पर जो संख्या प्राप्त होती है उस तत्व की संयोजकता कहलाता है |
यौगिक का नामकरण
दो भिन्न-भिन्न तत्वों के संयोग से बने यौगिक द्विअंगी कहलाता है | जिसका नामकरण निम्न प्रकार से किया जाता है –
1. जब धातु और अधातु मिलकर आयनिक यौगिक बनाते हैं, तो उनके नामकरण में धातु का पूरा नाम तथा अधातु के मूल नाम में आइड जोड़ा जाता है | जैसे-
NaCl – सोडियम क्लोराइड
MgO – मैग्नीशियम ऑक्साइड
2. जब दो अधातु तत्व आपस में संजोग कर सहसंयोजक यौगिक बनता है, तो उसके नामकरण में बाद वाले तत्व के पूर्व उपसर्ग के रूप में मोनो , डाई, ट्राई, टेट्रा, पेंटा, हेक्सा इत्यादि का प्रयोग किया जाता है | जैसे-
CO – कार्बन मोनोऑक्साइड
CO2 – कार्बन डाइऑक्साइड
SO3 – सल्फर ट्राईऑक्साइड
PCl3 – फास्फोरस ट्राईक्लोराइड
CCl4 – कार्बन टेट्राक्लोराइड इत्यादि |
3. जब दो अधातु तत्व यौगिक में परिवर्तित होते हैं, तो अणु में उनके संख्या के अनुसार पहले और दूसरे तत्व के पूर्व उपसर्ग का प्रयोग किया जाता है | जैसे-
NO – नाइट्रोजन मोनोऑक्साइड
N2O – डाई नाइट्रोजन ऑक्साइड
N2O3 – डाई नाइट्रोजन ट्राई ऑक्साइड
P2O5 – डाई फास्फोरस पेंटा ऑक्साइड
4. जब दो अधातु संजोग कर यौगिक बनते हैं, तो उनके नामकरण के पहले अधातु का पूरा नाम तथा दूसरे अधातु के नाम के अंत में ‘आइड’ जोड़ा जाता है | जैसे –
HCl – हाइड्रोजन क्लोराइड
HBr – हाइड्रोजन ब्रोमाइड
HF – हाइड्रोजन फ्लोराइड
HI – हाइड्रोजन आयोडाइड
5. जब किसी यौगिक में पहला तत्व हाइड्रोजन हो, तो हाइड्रोजन के पहले मोनो, डाई या ट्राई का प्रयोग नहीं किया जाता है | जैसे –
H2O – हाइड्रोजन ऑक्साइड (जल)
आणविक द्रव्यमान (Molecular Mass ) : किसी पदार्थ (तत्व या यौगिक) के अणु के द्रव्यमान को उस पदार्थ का आणविक द्रव्यमान कहते हैं | जैसे –
- H2O (जल) का आणविक द्रव्यमान =2*1+16=2+16=18 Amu(u)
- CO2का आणविक द्रव्यमान =12+16*2=12+32=44u
- KClO3 का आणविक द्रव्यमान=39+35.5+16*3=74.5+48=122.5u
- CaCO3का आणविक द्रव्यमान=40+12+16*3=52+48=100u
AMU – Atomic Mass Unit
पदार्थ के अणु सूत्र का महत्व
पदार्थ के अणु सूत्र से निम्नलिखित सूचनाओं प्राप्त होती है –
- इससे पदार्थ के नाम की जानकारी होती है |
- यह पदार्थ के एक अणु को व्यक्त करता है |
- इसमें उपस्थित विभिन्न तत्वों के नाम की जानकारी होती है |
- इसमें उपस्थित प्रत्येक तत्वों के परमाणुओं की संख्या की जानकारी होती है |
सूत्र इकाई द्रव्यमान (Formula Unit Mass) : किसी अणु के संघटक में उपस्थित विभिन्न तत्वों के परमाणुओं के द्रव्यमान के कुल योग को सूत्र इकाई द्रव्यमान कहते हैं |
ग्राम परमाण्विक द्रव्यमान (Gram Atomic Mass) : जब किसी पदार्थ के परमाणु के द्रव्यमान को ग्राम में व्यक्त किया जाता है, तो उसे ग्राम परमाण्विक द्रव्यमान कहते हैं | जैसे – सोडियम (Na) का ग्राम परमाण्विक द्रव्यमान 23 ग्राम होता है |
किसी पदार्थ के एक ग्राम परमाण्विक द्रव्यमान में उपस्थित परमाणुओं की संख्या 6.022/6.023*1023परमाणु होता है |
ग्राम आणविक द्रव्यमान (Gram Molecular Mass) : किसी पदार्थ के एक अणु के द्रव्यमान को ग्राम में व्यक्त करना उस पदार्थ का ग्राम आणविक द्रव्यमान कहलाता है |
किसी पदार्थ के एक ग्राम आणविक द्रव्यमान में उपस्थित अणुओं की संख्या 6.023*1023 अणु होता है |
मोल (Mole) : यह एक रासायनिक मात्रक है, जिसकी सहायता से पदार्थ के द्रव्यमान को मापा जाता है | इस इकाई को सन 1957 ईस्वी में IUPAC के द्वारा मान्यता प्राप्त हुआ है |
किसी पदार्थ के एक मोल में उपस्थित उसके परमाणुओं, अणुओं एंव आयनो की संख्या 6.023*1023 होता है, इसे मोल संख्या कहते हैं |
1 मोल = 6.023*1023 परमाणु
1 मोल = 6.023*1023 अणु
1 मोल = 6.023*1023 आयन
आवोगाड्रो संख्या (Avogadro Number) : किसी पदार्थ के एक मोल में उसके अणु, परमाणु या आयन के संख्या नियत होती है इसे ही आवोगाड्रो संख्या या आवोगाड्रो स्थिरांक कहते हैं |
इसका मान 6.023*1023 होता है |
मोलर द्रव्यमान (Molar Mass) : किसी पदार्थ के एक मोल के द्रव्यमान को उस पदार्थ का मोलर द्रव्यमान कहते हैं | इस M से सूचित किया जाता है तथा इसका मात्रक ग्राम प्रति मोल होता है |
निष्कर्ष
आशा करते है कि यह नोट्स Class 9th Chemistry Chapter 3 Notes in Hindi आपको पसंद आयी होगी और आपके एग्जाम के तयारी में मददगार होगी | तो आप इस नोट्स को अपने उन दोस्तों को शेयर करे जो अभी 9th Class में है और विज्ञान पढ़ रहे हैं |
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